हुआ आज मै निराधार,
नही दिख रहा कोई द्वार
जीवन कैसा नीरव खार,
ना पतझर-सावन,बसंत-बहार
दे दो प्रभु कोई आधार ,
कर दो अब मेरा उद्धार।
मेरे प्रभु तुम निराकार
दे दो शक्ति का ऐसा वार,
करके उसका अन्तिम प्रहार
ले लूँ मैं अपना प्रतिकार
मिटा सकूँ मैं अन्धकार को
मन के इस अव्यक्त अंहकार को
अंतस के उस तमस विकार को
स्वप्न-लक्ष्य के उस कठिन पथिक को
ऐसी कोई राह दिखा दे
ऐसी कोई ज्योति जला दे ।
रोशन करने को यह मन-मन्दिर
करता हूँ अब तेरी पुकार
कर दो प्रभु मेरा उद्धार।
समझ न पाया मै अपनी साधना
करता हूँ अब तेरी आराधना
मैं प्रभु तेरा बालक नादान
दे दो आज कोई वरदान
मेरी विनती करो स्वीकार
कर दो प्रभु मेरा उद्धार ।
1 comment:
bhai....really this post is very nice....because it consists a lot of realty....according to my opinion it shows ur deeply attachment with god.....
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